डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (15.10.1931-27.7.2015) भारत के यशस्वी वैज्ञानिकों में से एक तथा उपग्रह प्रक्षेपण यान और रणनीतिक मिसाइलों के स्वदेशी विकास के वास्तुकार थे। एस.एल.वी.-3, ‘अग्नि’ और ‘पृथ्वी’ उनकी नेतृत्व-क्षमता के प्रमाण हैं। उनके अथक प्रयासों से भारत रक्षा तथा वायु-आकाश प्रणालियों में आत्मनिर्भर बना। अन्ना विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी तथा सामाजिक रूपांतरण के प्रोफेसर के रूप में उन्होंने विद्यार्थियों से विचारों का आदान-प्रदान किया और उन्हें एक विकसित भारत का स्वप्न दिया। अनेक पुरस्कार-सम्मानोंकेसाथउन्हें देशकेसर्वोच्चनागरिकसम्मान‘भारत-रत्न’सेभीसम्मानितकियागया।विज्ञान-प्रसार मेंयोगदानकेलिएउन्हें प्रतिष्ठित‘किंगचार्ल्स-ढ्ढढ्ढ’मेडलसेसम्मानितकियागया।भारतकेराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान देश भर के आठ लाख से अधिक छात्रों से भेंट कर उन्होंने महाशक्ति भारत के स्वप्न को रचनात्मक कार्यों द्वारा साकार करने का आह्वान किया। श्री सृजन पाल सिंह ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद से अध्ययन किया और सभी क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी के रूप में स्वर्ण-पदक जीता। वे स्टुडेंट काउंसिल के प्रमुख रहे। उन्होंने नवीनतम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए पारदर्शी सार्वजनिक वितरण प्रणाली स्थापित करने के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) में कार्य किया। उन्हें स्विट्जरलैंड में आयोजित सेंट गैलेन सिंपोजियम में ‘ग्लोबल लीडर्स ऑफ टुमारो’ के लिए नामित किया गया। उन्होंने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की यात्राएँ की हैं तथा सतत विकास प्रणालियों के अध्ययन और विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्यकलापों में भाग लिया है। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में विकास की अवधारणाओं पर उनके अनेक लेख प्रकाशित हुए हैं। facebook.com/SrijanPalSingh.