डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के यशस्वी वैज्ञानिकों में से एक तथा उपग्रह प्रक्षेपण यान और रणनीतिक मिसाइलों के स्वदेशी विकास के वास्तुकार हैं। एस.एल.वी.-3, ‘अग्नि’ और ‘पृथ्वी’ उनकी नेतृत्व क्षमता के प्रमाण हैं। उनके अथक प्रयासों से भारत रक्षा तथा वायु आकाश प्रणालियों में आत्मनिर्भर बना। अन्ना विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी तथा सामाजिक रूपांतरण के प्रोफेसर के रूप में उन्होंने विद्यार्थियों से विचारों का आदान-प्रदान किया और उन्हें एक विकसित भारत का स्वप्न दिया। अनेक पुरस्कार-सम्मानों के साथ उन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया। संप्रति : भारत के राष्ट्रपति। श्री वाई. सुंदर राजन भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के प्रमुख सलाहकार और ‘टाइफैक’ (TIFAC) के कार्यकारी निदेशक हैं। वे ‘इसरो’ (ISRO) एवं डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस से सन् 1966-88 तक संबद्ध रहे और उपग्रह कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ मिलकर ‘भारत 2020 : नवनिर्माण की रूपरेखा’ एवं ‘महाशक्ति भारत’ जैसी प्रसिद्ध पुस्तकों के अतिरिक्त ‘शक्तिपुंज भारतवासी’, ‘चूजिंग कैरियर पाथ्स’ तथा ‘रिमोट सेंसिंग’ पर एक पुस्तक की रचना की है।