के. सत्यनारायण एक आईपीएस अधिकारी हैं, जो मूल रूप से आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले के एक सुदूर गाँव के रहनेवाले हैं। लेखन में उनकी विशेष अभिरुचि है। उनकी पहली पुस्तक 'मनीषी ना भाषा' (मनुष्य मेरी भाषा है) तेलुगु में एक कविता संग्रह है। उनकी दूसरी पुस्तक 'मनीषी लोपाली महासमुद्रलु' (मनुष्य के अंदर महासागर) दार्शनिक निबंधों का संकलन है। उनकी तीसरी तेलुगु पुस्तक 'कृषि वुम्ते... (कोशिश से कोहिनूर) ने कई अभिभावकों और छात्रों का दिल जीत लिया था। चौथी पुस्तक 'आत्मचित्रम' (ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त श्री केदारनाथ सिंह की चुनिंदा कविताओं का तेलुगु में अनुवाद)। श्री सत्यनारायण मनुष्य की आंतरिक यात्रा में विश्वास करते हैं। वह मनुष्यों के बीच और मनुष्य तथा प्रकृति के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए कार्य करते हैं।