ऐनी फ्रैंक का जन्म 12 जून, 1929 को यहूदी परिवार में हुआ। वे एक जर्मन-डच डायरी लेखक हैं। यहूदी नरसंहार के सबसे चर्चित यहूदी पीडि़तों में से एक फ्रैंक को मरणोपरांत 1947 में ‘एक युवती की डायरी’ के प्रकाशन द्वारा प्रसिद्धि प्राप्त हुई। जब वह साढ़े चार साल की थी, तब एडोल्फ हिटलर और नाजी पार्टी के जर्मनी पर नियंत्रण कर लेने के बाद उनका परिवार एमस्टर्डम चला गया। जुलाई 1942 में यहूदी लोगों पर नृशंसता बढ़ती गई, वे सब एक इमारत के पीछे के गुप्त कमरों में छिप गए, जहाँ ऐनी के पिता ओटो फ्रैंक काम किया करते थे। 4 अगस्त, 1944 को गस्टापो द्वारा परिवार की गिरफ्तारी तक ऐनी ने डायरी लिखना जारी रखा, जो उसे जन्मदिन के उपहार के रूप में मिली थी। उसमें ऐनी नियमित रूप से लिखा करती थी। गिरफ्तारी के पश्चात फ्रैंक परिवार को नाजी बंदी शिविरों में ले जाया गया, जहाँ कुछ महीने बाद उसकी मृत्यु हो गई। रेड क्रॉस द्वारा मूल रूप से मार्च में उसकी मृत्यु होने का अनुमान लगाया गया था, डच अधिकारियों ने इसे 31 मार्च को आधिकारिक तिथि के रूप में निर्धारित किया था।