• Sewa Paramo Dharmah

Sewa Paramo Dharmah

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ISBN : 9789355214355
Publisher : Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.; First Edition (11 November 2022); Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
Author : vrinda khanna
Binding : Paperback
Weight : 0.34 (in KGs)
Category : Hindi
Sub Category : Self Help
Sub Sub Category : N/A
Sub Category 2 : N/A

एक व्यक्ति होता है, जिसको 'वीतरागी' कहते हैं, अर्थात्‌ वह अपने और पराए के भाव से मुक्त होकर केवल प्राणिमात्र के सुख के लिए जीता है। पूज्य खैरातीलालजी ऐसे ही पुण्यात्मा थे, जिन्होंने सहदयता, सद्भाव और आत्मीयता के साथ सबको उचित सम्मान एवं स्नेह देकर प्रेमासक्त किया। विभाजन का दंश अपने आपमें एक बहुत बड़ी त्रासदी थी। अपनी जन्मभूमि और पैतृक संपदा को छोड़कर प्रव्रजन करना दुर्भाग्य से कम नहीं है। इन असहाय त्रासदियों के बीच दिल्‍ली आकर अपने अस्तित्व को बचाने के साथ ही स्वावलंबन और स्वाभिमान के साथ स्वयं को पुनः स्थापित करने का उनका पराक्रम अद्वितीय रहा। 31 अक्तूबर, 1933 को विभाजन से पूर्व लाहौर में जनमे खैरातीलालजी ने, माता ईश्वरी देवी, दो बहनों और एक छोटे भाई समेत विभाजन की विभीषिका को अपनी आँखों से देखा और उसके दर्द को अनुभव किया। जीवन में संघर्ष व्यक्ति को तपाकर कुंदन बना देता है। खैरातीलालजी ने संघर्षों में तपकर ही अदम्य साहस और धैर्य को प्राप्त किया है। वे पिलानी में पढ़ाई के दौरान कंबल की धुलाई का काम करके जीविकोपार्जन करते थे, लेकिन इससे विचलित न होते हुए उपेक्षित बस्तियों में जाकर छोटे बच्चों को शिक्षा देते थे। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि 'महाजनो येन गत: स एवं पथाः ', अर्थात्‌ महान्‌ लोग जिस मार्ग का अनुसरण करते हैं, वही मार्ग अच्छा और अनुकरणीय हो जाता है। धैर्य, साहस और विवेक से निरंतर सत्कर्म में रत रहकर ऐसा मार्ग जिन्होंने अपनाया, ऐसे हमारे संरक्षक और वटवृक्ष पूज्य खैरातीलालजी सदैव हम सबके लिए अनुकरणीय और वंदनीय रहेंगे।

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