ओमकार—पल्प एंड पेपर टेबनोलॉजी में पीजी के बाद पंजाब के जालंधर को अपनी कर्मस्थली चुना, और क्योंकि शिक्षण हमेशा से ही ओमकार के दिल के करीब रहा था, इसलिए वहाँ पर विज्ञान के अध्यापन कार्य में अपने आप को लगा दिया। हिंदी के प्रति लगाव के कारण “दैनिक भास्कर' अखबार के साथ जुड़े । अध्यापन तथा पत्रकारिता में सामंजस्य बैठाते हुए सन् 2012 के विधानसभा चुनाव में चुनाव विश्लेषण में हाथ आजमाया । इस क्षेत्र में आने के बाद एहसास हुआ कि पत्रकारिता करते हुए राजनीति का ज्ञान सतही स्तर पर होता है और भारतीय राजनीति को समझने के लिए अभी और ज्यादा प्रयास की आवश्यकता है। इसी कड़ी में देश की राजधानी को अपना नया ठिकाना बनाया। परंतु पत्रकारिता या लेखन से लगाव होने के कारण कुछ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं व अखबारों के लिए लिखना जारी रखा, जबकि दैनिक पत्रकारिता से नाता टूट चुका था। इस दौरान कई प्रादेशिक व राष्ट्रीय नेताओं से संपर्क स्थापित हुआ, जिनमें से तीरथ सिंह रावत प्रमुख राजनेता है । इन्हीं की प्रेरणा मिलने के बाद लेखक के रूप में प्रथम प्रयास इस पुस्तक के रूप में चरितार्थ हुआ। फिलहाल दो और राजनीतिक पुस्तकों की पांडुलिपियों पर काम चल रहा है।