संजय कुमार बिहार, भोजपुर के आरा में जन्म, मूल निवासी-भागलपुर। पत्रकारिता में डिप्लोमा व स्नातकोत्तर। 2007 से गौरैया संरक्षण में सक्रिय। बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा गौरैया संरक्षण के लिए सम्मानित। वर्ष 2016, 2018 और 2019 में 'गौरैया फोटोग्राफी' हेतु पुरस्कृत। वर्षों से चिडिय़ों, विशेषकर गौरैया की फोटोग्राफी। पत्रकारिता की शुरुआत वर्ष 1987 में भागलपुर शहर से। राष्ट्रीय व स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में विविध विषयों पर ढेरों आलेख, रिपोर्ट-समाचार, फीचर आदि प्रकाशित। आकाशवाणी से वार्ताएं प्रसारित और रेडियो नाटकों में भागीदारी, साथ ही नुक्कड़ नाट्य आंदोलन के शुरुआती दौर से ही जुड़ाव एवं सक्रिय भूमिका। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं वेबपत्रों के लिए लेखन जारी, खासकर मीडिया, वंचित वर्ग, सामाजिक सरोकार और पर्यावरण के मुद्दों को लेकर। वर्ष 2002 से अक्तूबर 2014 तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया-आकाशवाणी के समाचार प्रभाग और वर्ष दिसंबर 2014 से 2017 तक दूरदर्शन के समाचार सेवा प्रभाग से जुड़कर राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, विकासात्मक और जनहित से जुड़ी खबरों को जनता के बीच पहुँचाने की कोशिश। अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित : 1. तालों में ताले अलीगढ़ के ताले, 2. नागालैंड के रंग-बिरंगे उत्सव, 3. पूरब का स्विट्जरलैंड नागालैंड, 4. 1857 : जनक्रांति के बिहारी नायक, 5. बिहार की पत्रकारिता तब और अब, 6. आकाशवाणी समाचार की दुनिया, 7. रेडियो पत्रकारिता, 8. मीडिया में दलित ढूँढ़ते रह जाओगे, 9. मीडिया : महिला, जाति और जुगाड़, 10. मीडिया में दलित, 11. अभी मैं जिंदा हूँ गौरैया। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् द्वारा नवोदित साहित्य सम्मान, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन सदृश विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संप्रति वर्ष 1993 से भारतीय सूचना सेवा में। फिलहाल प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पटना में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत। संपर्क : 303, दिगंबर प्लेस, लोहिया नगर, कंकड़ बाग, पटना-800020 (बिहार)। दूरभाष : 09934293148 इ-मेल : [email protected]