मौलिक विचारक, प्रखर वक्ता, पुरातत्त्व प्रेमी, यायावर, वन्यजीव छायाकार, कलाविद्, लोकप्रिय कवि और अब उपन्यासकार। बहुआयामी व्यक्तित्व के राजीव, भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं। तीन कविता संग्रहों उम्र की इक्कीस गलियाँ (2000), धूप के ग्लेशियर (2001), प्रिज्म (2007), एक इतिहास पुस्तक युगयुगीन मंडला (2010) के बाद गत वर्ष आया उनका उपन्यास ‘विद्रोही संन्यासी’ बहुत लोकप्रिय है। शीघ्र ही यह मराठी, गुजराती, कन्नड़, अंग्रेजी में प्रकाशित होगा। संन्यासी त्रयी की दूसरी कृति अद्भुत संन्यासी विष्णु के छठे अवतार भगवान् परशुराम के जीवन के अल्पज्ञात, किंतु युगांतकारी पक्ष की कथा है। शीघ्र प्रकाश्य: सम्राटों का सम्राट सहस्रबाहु। संप्रति: आयुक्त हथकरघा एवं हस्तशिल्प, म.प्र. शासन। संपर्क: 94249-17479 इ-मेल: [email protected].