उषा यादव—जन्म : कानपुर (उ.प्र.)। शिक्षा : एम.ए. (इतिहास, हिंदी), पी-एच.डी., डी.लिट्.। प्रकाशित साहित्य : हिंदी साहित्य की विविध विधाओं में बच्चों एवं बड़ों के लिए सौ से अधिक पुस्तकों का सृजन। प्रमुख उपन्यास हैं—कितने नीलकंठ, कथांतर, अमावस की रात, महालया, काहे री नलिनी, स्वाँग, उसके हिस्से की धूप, सागर तट की वह सीप, अंजुरी भर चाँदनी, क्या नाम दूँ...ऐ जिंदगी, अग्निराग एवं तारिणी। पुरस्कार-सम्मान : उ.प्र. हिंदी संस्थान का 'बाल साहित्य भारती', म.प्र. साहित्य अकादमी से उपन्यास 'काहे री नलिनी' पर 'अखिल भारतीय वीरसिंह देव सम्मान', राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, दिल्ली से उपन्यास 'उसके हिस्से की धूप' (पांडुलिपि) पर महात्मा गांधी द्विवार्षिक हिंदी सृजनात्मक लेखन पुरस्कार योजना के अंतर्गत प्रथम पुरस्कार (वर्ष 2018), वर्ष 2021 में 'पदमश्री' से अलंकृत। अंग्रेजी तथा अनेक भारतीय भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद। इनके साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों से कई शोधार्थियों को शोध-उपाधि मिल चुकी है। पता : 73 नॉर्थ ईदगाह कॉलोनी, आगरा-282010 (उ.प्र.) । मोबाइल : 9012818025