अपनी कविता के तार से मनुज तंतुओं को झंकृत करनेवाले युवा कवि कांतेश मिश्र ऐसे ही उभरते कलमकार हैं, जिनकी कविताएँ जमीन से जुड़ी जनता को अपनी ओर आकर्षित करती हैं । रचना का यही प्रथम धर्म है कि वह पहले जन-जन को अपनी तरफ खींचे और फिर उसे उद्वेलित व आंदोलित करे। पूर्व में “पाटलिपुत्र की छाँव से ', फिर 'मगध सा मन' और अब 'इंद्रप्रस्थ के काश-पुष्प' का सृजन कवि की बहुमुखी रचनात्मक ऊर्जा से पाठकों को आलोकित करता है। कांतेश मिश्र की रचनाएँ आश्वस्त करती हैं कि आज के डिजीटल दौर में कविताएँ न सिर्फ लिखी जा रही हैं, वरन् चाव से पढ़ी भी जा रही हैं। लेखक भारतीय पुलिस सेवा ( बिहार कैडर ) के अधिकारी हैं।