नीरजा माधव की अब तक उपन्यास, कहानी, कविता, ललित निबंध व वैचारिक विषयक 45 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें 'देनपा : तिब्बत की डायरी', 'गेशे जंपा', 'यमदीप', 'भारत विभाजन का दंश' (तेभ्य: स्वधा), 'अनुपमेय शंकर', '# कोरोना', 'रात्रिकालीन संसद्' जैसे बहुचर्चित उपन्यास हैं तो 'चिटके आकाश का सूरज', 'अभी ठहरो अंधी सदी', 'चुप चंतारा रोना नहीं', 'पथदंश', 'आदिमगंध तथा अन्य कहानियाँ' जैसे विविध अनछुए विषयों पर लिखी कहानियों के संग्रह प्रमुख हैं। 'हिंदी साहित्य का ओझल नारी इतिहास', 'भारतीय स्त्री विमर्श', 'रेडियो का कलापक्ष', 'भारत राष्ट्र और उसकी शिक्षा पद्धति', 'अर्थात राष्ट्रवाद', 'भारत का सांस्कृतिक स्वभाव' जैसे वैचारिक ग्रंथ भी हैं। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंदजी द्वारा सर्वोच्च महिला नागरिक सम्मान 'नारी शक्ति पुरस्कार-2021, श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, कोलकाता द्वारा प्रतिष्ठित 'डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान2021, उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा 'साहित्य भूषण सम्मान', हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा 'साहित्य महोपाध्याय' की मानद उपाधि तथा अनेक सम्मानों से अलंकृत। विभिन्न विश्वविद्यालयों में उपन्यास और कहानियाँ पाठ्ïयक्रमों में सम्मिलित।