जनक वैद ‘साहित्य की मौन साधिका जनक वैद’, यह पदवी लेखिका को इसलिए मिली, क्योंकि वे चुपचाप बिना किसी को बताए लिखती रही। विशेषकर अपनी जीवनी, जो देश के बँटवारे के समय की त्रासदी पर केंद्रित है। उनका जन्म 28 मार्च, 1940 को पश्चिमी पंजाब के चॅक नंबर 468, तहसील समुंदरी, जिला लायलपुर के सिख जमींदार परिवार में हुआ। पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। गाँव में स्कूल न होने के कारण घर पर ही पढ़ते हुए पंजाब यूनिवर्सिटी से वजीफा लेकर दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद शादी हो गई। परिवार की जिम्मेदारियाँ निभाते हुए पंजाब यूनिवर्सिटी से ही हिंदी में स्नातकोत्तर। अभी तक छोटी-बड़ी पच्चीस पुस्तकें, जिनमें कहानी, कविता, नाटक, उपन्यास प्रकाशित हुई हैं। बाल-साहित्य में विशेष रुचि। हिंदी-पंजाबी की पत्रिकाओं में निरंतर लेखन। हिंदी-पंजाबी, जालंधर, लेखिका संघ और Association of writers and illustrators for children की आजीवन सदस्य। ऑक्सफोर्ड सीनियर सेकेंडरी स्कूल, विकास पुरी, दिल्ली के मैनेजमेंट बोर्ड की पूर्व सदस्य। डॉ. हेम भटनागर की संस्कार संस्था (हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए) से भी जुड़ी रहीं।