Rigvediya Shrisooktam

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ISBN : 9789355213006
Publisher : Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.; First Edition (13 December 2022); Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
Author : shrimad vishvasenacharya tridandi swami virachita
Binding : Paperback
Weight : 0.40 (in KGs)
Category : Hindi
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हे भूदेव! जिनकी शुचिता गंगा को विलज्जित करती हो! तत्त्व-बोध में क्षीरसिंधु का गांभीर्य हो! आदेशोपदेश में ब्रह्मरात शुक्र शौनकादि की मधुरता हो! बहुआयामी अर्थबाहुल्य में सत्य वती नंदन की सतर्कता हो! ऐसे समाधिसिंधु अवगाहन विचक्षण क्रियायोग निष्णात् अनंत श्रीसमलंकृत अस्मर्द-दीक्षाचार्य पूज्य श्रीपाद स्वामीजी प्रणीत श्रीसूक्त एवं पुरुषसूक्त की मर्मबोधिनी व्याख्या के पंचम संस्करण को महाभागवतों की समाराधना में प्रस्तुत करते हुए श्रीविजयराघव मंदिर ट्रस्ट (रजि . ४५१०) को अत्यंत आह्लद हो रहा है। पूर्व में ये दोनों सूक्त दो खंडों में छपा था, जो अब एक ही आवरण में प्रस्तुत है। विष्णुपादोदकी सम पावन इस ग्रंथ -ग्रथन के संदर्भ में एक सहज वाणी स्फुटित हो साकांक्ष हो जाती है—"" श्रीसूक्त और पुरुषसूक्त ग्रंथ की यह टीका मर्मबोधिनी और फलदायिनी है। इसमें श्रीसूक्त ऋचाओं की मार्मिक व्याख्या के साथ महालक्ष्मी पूजा-विधि, सचित्र श्रीचक्रम् सीतोपनिषद एवं सौभाग्यलक्ष्मी उपनिषद के वर्णन सहित पुरुष सूक्त मंत्र प्रयोगार्थ श्रीचक्राब्जमंडल की रचना एवं पूजा-विधि, विभांडक चरुविधि, ऋष्यशृंगोक्त संतानयाग विधि, उत्तर नारायणानुवाक् तैत्तिरीय पुरुषसूक्त, नारायणोपनिषद एवं मुदलोपनिषद का भी वर्णन है। हे देव! इस पंचम संस्करण का प्रकाशन आप श्रीपादपद्मो की सेवा कर जिन्होंने अन्वर्थ नाम 'श्रीपादसेवक' पाया, ऐसे 'श्री विजयराघव मंदिर ट्रस्ट' अध्यक्ष (डिहरीआनसोन रोहिताश्व, बिहार) वैकुंठवासी श्री सुदर्शनाचार्य ब्रह्मचारजी की पुण्य स्मृति में कराया गया है।

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