• Vastu Vidya

Vastu Vidya

In stock
AED 92.00 AED 92.00 0.0%

ISBN : 9789355214041
Publisher : Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.; First Edition (11 February 2023); Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
Author : k. mahadev shashtri
Binding : Paperback
Weight : 0.35 (in KGs)
Category : Hindi
Sub Category : Self Help
Sub Sub Category : N/A
Sub Category 2 : N/A

महामहोपाध्याय त. गणपति शास्त्री—(१८६०-१९२६) संस्कृत विद्वान थे, जो त्रिवेंद्रम (अनंतशयन) संस्कृत शृंखला के संपादक रहे। उन्होंने भास के नाटकों की खोज की। वे १९०३ के आसपास कुछ काल के लिए संस्कृत कॉलेज के प्राचार्य भी रहे। ‘अनंतशयन संस्कृत ग्रंथावली’ का तीसवाँ (३०वाँ) अंक, ‘वास्तु विद्या’का प्रथम प्रकाशन, १९१३ में महामहोपाध्याय त. गणपति शास्त्री द्वारा संपादित किया गया। इसका द्वितीय संस्करण १९४० में उनके शिष्य पंडित के. महादेव शास्त्री ने संशोधित व संक्षिप्त व्याख्यान सहित प्रस्तुत किया है, जिस पर यह हिंदी अनुवाद आधारित है। संस्कृत पांडुलिपियों की खोज में केरल का दौरा करते हुए उन्हें त्रिवेंद्रम के पास एक गाँव में मलयालम में ताड़ के पत्ते का एक कोडेक्स मिला। यद्यपि उस पर कोई नाम नहीं था, उन्होंने आंतरिक साक्ष्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि वे एक ही लेखक के हैं और वे भास के खोए हुए नाटक हैं। इसे 'बीसवीं सदी की संस्कृत साहित्य विद्वत्ता की सबसे महत्वपूर्ण घटना’ माना गया है। उन्होंने १९२४-२५ में अर्थशास्त्र के त्रिवेंद्रम संस्करण की खोज और संपादन किया, जिसमें स्वयं एक संस्कृत टिप्पणी भी थी। शास्त्रीजी को उनके भास नाटकों के संस्करण के लिए जर्मनी के तुबिंगन विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने ‘भारतानुवर्णनम्’ नाम का भारत का इतिहास भी लिखा है। ओमप्रकाश भरतिया—२३ अप्रैल, १९४० को कलकत्ता में जन्मे ओमप्रकाश भरतिया ने माहेश्वरी विद्यालय और उसके बाद हिंदी हाई स्कूल में पढ़ाई की और वर्ष १९५६ में मैट्रिक पास किया। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, कलकत्ता से वर्ष १९५८ में विज्ञान में इंटरमीडिएट (आई.एस.सी.) पास किया, और उसके बाद वर्ष १९६२ में जादवपुर विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। स्नातक की पढ़ाई के बाद वे जूट टेक्सटाइल, कॉटन टेक्सटाइल के पारिवारिक व्यवसाय में शामिल हो गए और मैसर्स बी.सी.एच. इलेक्ट्रिक लिमिटेड के प्रमोटर रहे, जो एक लो वोल्टेज इलेक्ट्रिकल कंट्रोलगियर एवं स्विचगियर उत्पादों के निर्माण और बिक्री में लगी भारतीय कंपनी है; वे वर्तमान में इस कंपनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक हैं। श्री भरतिया, स्वर्गीय प्रोफेसर ना. गोपीनाथ के साथ एक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के सह-संस्थापक भी हैं, जिसका नाम 'सीताराम भरतिया विज्ञान और अनुसंधान संस्थान' है। वे इसके सदस्यों की परिषद के अध्यक्ष हैं।

Customer Reviews


Your Rating *

upsell products