किसी भी रचना की उपयोगिता तभी है, जब वह अधिक-से-अधिक पाठकों/ समीक्षकों तक पहुँचे। जो रचनाएँ पाठकों के दिलों को छू लेती हैं, वे रचनाएँ अमर हो जाती हैं। वर्ष 2020 में दिल्ली में आयोजित 12वें गज़ल कुंभ’ की चर्चा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में रही। मुझे अति प्रसन्नता है कि गज़ल कुंभ-2020’ में पढ़ी गई गज़लों का यह संकलन प्रकाशित होकर गज़ल-प्रेमी पाठकों को उपलब्ध हो रहा है। विगत वर्ष 2021 में कोरोना काल की त्रासदी के कारण गज़ल कुंभ’ आयोजित नहीं हो सका था। अब परिस्थितियाँ कुछ सामान्य हो जाने पर 2022 में आयोजित होनेवाले इस गज़ल कुंभ’ की सफलता के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ। भागमभाग वाले आज के व्यस्त एवं त्रस्त जनजीवन में जहाँ इंसान सि़र्फ अपने तक ही सीमित होकर रह गया है, ऐसे माहौल में इस प्रकार के आयोजन, जिनमें देश-विदेश से पधारे सैकड़ों साहित्यकार मिल-बैठकर आपस में साहित्यिक चर्चा करें, एक-दूसरे के सुख-दुख साझा करें, सच में अद्भुत एवं प्रशंसनीय कार्य है। श्री दीक्षित दनकौरी के अथक परिश्रम एवं उनकी पूरी टीम के सहयोग के कारण ही यह आयोजन संभव हो पाता है। गज़ल कुंभ’ में पधारे सभी शायरों, सम्मानित अतिथियों और गज़ल-प्रेमियों को नववर्ष 2022 की हार्दिक शुभकामनाएँ। अन्य प्रसिद्ध गज़ल संग्रह।