• Bhikhna Pahari

Bhikhna Pahari

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ISBN : 9789390372034
Publisher : Prabhat Prakashan; First Edition (1 January 2023); Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
Author : ramesh chandra
Binding : Paperback
Weight : 0.35 (in KGs)
Category : Hindi
Sub Category : Self Help
Sub Sub Category : N/A
Sub Category 2 : N/A

""रमेश चंद्र हिंदी के अत्यंत प्रभावशाली शिल्पकार हैं । कहानी बुनने और कथानक को विश्वसनीयता के साथ आत्मीय बनाने के लिए रचनाकार की सूक्ष्म दृष्टि और मानवीय मूल्य की सकारात्मकता बेहद जरूरी होती है। इस एतबार से चंद्र स्वाभाविक रूप से हमें पारंगत नजर आते हैं। सबसे बड़ी विशेषता कहानी की पठनीयता होती है। चंद्र निस्संदेह अपनी पीढ़ी के ऐसे रचनाकार हैं, जिनमें बखूबी यह हुनर है। कहानी भी समाज का आईना होती है। और जब तक हमारा चेहरा साफ-साफ नहीं दिखता, हम आईने पर यकीन नहीं कर सकते। "भिखना पहाड़ी ' में शीर्षक कथा के अलावा अन्य कहानियों--ऊँघती उँगलियाँ और लाली लौट गई ! कमासुत, कसूर क्या था ? कैसे मरद हो जी ?, घंटाघर, जामुन की जड़, तेरी बेटी, तू जाने! दरकती दीवारें और जीरो माइल से गुजरते हुए जिंदगी के कई रंग रोशन होते हैं ।साँसों के निरंतर आरोह-अवरोह की तरह जिंदगी भी हर जगह अपनी सुविधा और शर्तों पर चलती है। ऐसे में हमारा गहन तजुर्बा ही रचनात्मकता के आवरण में ढलकर कोई जीवंत आकृति उकेर सकता है। यही जज्बा रमेश चंद्र की प्रायः सभी कहानियों में मौजूद है। चंद्र ने वक्]त की नब्ज पहचानी है। कहानियाँ ऐसे मोड़ पर अवश्य ठहरती हैं, जहाँ हमें संभावनाओं के कई रास्ते नजर आते हैं। अपने कथा-परिवेश को चंद्र ने व्यापक बना दिया है। हम समझते हैं कि हिंदी के अलावा इन कहानियों को विभिन्]न भाषाओं में अवश्य स्थानांतरित होना चाहिए, क्योंकि विषय और कथानक की दृष्टि से ये बदलती दुनिया की बेहद मार्मिक कहानियाँ हैं ।-डॉ. कासिम खुरशीद, अंतरराष्ट्रीय शायर, लेखक ओर शिक्षाविद्], मो.: 9334079876

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