सूबेदार मेजर (मानद कैप्टेन) योगेंद्र सिंह यादव भारत में 'परमवीर चक्र' अलंकरण से सुशोभित किए जाने वाले सबसे कम उम्र के सैनिक हैं। कारगिल युद्ध में अद्वितीय वीरता और साहस का परिचय देने के लिए उन्हें देश का सर्वोच्च सैन्य सम्मान दिया गया था। टाइगर हिल के दुर्गम इलाके में स्वेच्छा से सबसे आगे चलकर अपनी पलाटून का पथ-प्रशस्त करने के बाद यादव ज़बरदस्त फायरिंग के बीच रेंगते हुए आगे बढ़ते रहे, ताकि दुश्मन के मोर्चे को खामोश किया जा सके। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर के रहने वाले योगेंद्र सिंह यादव मात्र सोलह साल की आयु में सेना में शामिल हुए। अपने हर कदम के साथ मिलती उपलब्धियों के कारण सामान्य शुरुआत के बाद उन्होंने बड़ी-बड़ी कामयाबियाँ हासिल कीं। उन्होंने बरेली स्थित जूनियर लीडर्स एकेडमी में काम किया, जहाँ जेसीओ व सैनिकों को सब यूनिट स्तर पर युद्ध एवं शांति काल में कनिष्ठ नेतृत्व हेतु तैयार किया जाता है। दिसंबर 2021 में वह सेवानिवृत्त हुए। दैनिक जीवन में व्यावहारिक जानकारी के साथ आध्यात्मिक ज्ञान का संतुलन बनाने वाले यादव की पहचान एक बेहतरीन प्रेरक वक्ता और जोश भर देनेवाले लीडर के रूप में है।