मेजर जनरल अनिल सेंगर का सैन्य जीवन अत्यंत प्रेरणादायी रहा है। वह भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से जून 1979 में स्वार्ड ऑफ ऑनर एवं राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ता हैं। उन्होंने समर्पित भाव से प्रतिबद्धता के साथ 5 गार्ड्स का नेतृत्व किया। अपने सुदीर्घ सेवाकाल में उन्हें एक इन्फैंट्रीमैन एवं यांत्रिक बल अधिकारी के रूप में तथा विदेशी नियुक्तियों का व्यापक अनुभव प्राप्त है। उन्होंने विभिन्न परिवेशों में एक बटालियन, एक ब्रिगेड एवं एक डिवीजन की कमान सँभाली। उन्हें लेबनान एवं सीरिया से मान्यता प्राप्त तुर्की में डिफेंस अताशे के रूप में नियुक्ति के समय लेबनान की सरकार द्वारा मेडल ऑफ ऑनर एवं सिल्वर डिग्री प्रदान की गई। अपनी विशिष्ट नेतृत्व क्षमता-दर्शन के साथ उन्होंने एक अनुकरणीय विरासत छोड़ी— एक गंभीर, प्रसन्नचित्त, भावुक एवं प्रेरणादायी अधिकारी के रूप में विवेक और धैर्य के अपने गुणों के बल पर वह असाधारण सैन्य अधिकारी बने, और नेतृत्व को नया आयाम दिया। अपने निस्स्वार्थ सेवाभाव और सैन्यमूल्यों के प्रति पूर्ण निष्ठा के बल पर उन्होंने एक सैन्य अधिकारी के रूप में असंदिग्ध विश्वसनीयता और साख अर्जित की। इन्हीं विशेषताओं और विशिष्टताओं के कारण वे भावी उच्चतम नेतृत्व (जनरल) जैसे महत्त्वपूर्ण विषय पर लिखने के लिए सर्वथा उपयुक्त हैं। लेखक की अन्य पुस्तकें : ‘फोर डिकेड्स इन ऑलिव ग्रीन्स : प्राइड-पैशन ऐंड पर्सपेक्टिव्स’, ‘बटालियन कमांड : डेयर टु लीड’, ‘लीडरशिप फाउंडेशन ऐंड सेल्फ डेवलपमेंट फॉर जूनियर लीडर्स इन यूनिफॉर्मड सर्विसेज’, ‘मिलिट्रिली क्रेजी : दि लाइटर साइड ऑफ लाइफ इन इंडियन आर्मी’।