पर्यावरण पर केंद्रित बहुचर्चित और बेस्टसेलर उपन्यास ‘रेखना मेरी जान’ के लेखक रत्नेश्वर पाँचवीं कक्षा से ही अपने स्कूल सर गणेश दत्त पाटलिपुत्र, पटना में ‘स्टोरी मास्टर’ के नाम से पुकारे जाने लगे थे। 20 अक्तूबर, 1967 को अपने ननिहाल महरथ (वारिसलीगंज) में जनमे रत्नेश्वर ने बचपन से ही संघर्षपूर्ण जीवन जिया। अपने पैतृक गाँव बड़हिया से एक किसान के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत की। आज रत्नेश्वर भारत के जाने-माने लेखक हैं। पत्रकारिता साहित्य के लिए उन्हें प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 1998 में भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने 1988 में नवभारत नागपुर से पत्रकारिता की शुरुआत की। स्टार वन पर मानो या ना मानो का स्क्रिप्ट-लेखन किया, साथ ही प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक प्रकाश झा के नेतृत्व में मौर्य टी.वी. के डिप्टी एडिटर भी रहे। अब तक 15 से भी अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें जीत का जादू (व्यक्तित्व विकास), मीडिया लाइव (पत्रकारिता), लेफ्टिनेंट हडसन, सिम्मड़ सफेद (कहानी-संग्रह), रेखना मेरी जान, एक लडक़ी पानी-पानी, महायुग उपन्यास त्रयी-1 32000 साल पहले (उपन्यास), सफल हिंदी निबंध (निबंध-संग्रह) प्रमुख हैं। इ मेल : [email protected]