वीरेंद्र जैन—जन्म : शिक्षक दिवस 1955; मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिलांतर्गत सिरसौद गाँव में, जो अब आधा जल में और आधा काल के गाल में समाया हुआ है। प्रमुख कृतियाँ : शब्दबध, सबसे बड़ा सिपहिया, डूब, पार, पंचनामा, दे ताली, गैल और गन, तीन दिन दो रातें (उपन्यास) ; भार्या (कहानी- संग्रह); बहस बीच में (व्यंग्य-संग्रह ) ; हास्य कथा बत्तीसी (बाल-कथाएँ); कथा-चित्रकथा (तीन चित्रकथाएँ); मेरी पाठशालाएँ, सर्वेश्वर के बहाने, मेहरबाँ कैसे-कैसे, अटल यादें (संस्मरण); अभिवादन और खेद सहित ( फुटकर गद्य )। पुरस्कार : पंचनामा के लिए निर्मल पुरस्कार। पार के लिए श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार। डूब के लिए प्रेमचंद महेश सम्मान और मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय वीरसिंह देव पुरस्कार। सबसे बड़ा सिपहिया के लिए हिंदी अकादमी, दिल्ली का साहित्यिक कृति पुरस्कार। शब्दबध के लिए म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन का वागीश्वरी पुरस्कार। तीन चित्रकथाएँ तथा बात में बात में बात के लिए हिंदी अकादमी, दिल्ली का बाल साहित्य पुरस्कार । उपन्यास के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मृति सम्मान। इ-मेल : [email protected]