परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज, मुख्य मार्गदर्शक, रामायण रिसर्च काउंसिल—परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज देश के प्रतिष्ठित साधक, प्रसिद्ध तपस्वी, हिंदू दार्शनिक, उपदेशक और पर्यावरणविद् हैं। संस्कृत में स्नातक .स्वामी सांदीपेंद्र संस्कृत विद्या परिषद के संस्थापक तथा “रामायण रिसर्च काउंसिल' के मुख्य मार्गदर्शक हैं। मध्य प्रदेश में नलखेड़ा स्थित माँ बगलामुखी मंदिर प्रांगण में उनका प्रसिद्ध आश्रम है। इस स्थान को जाग्रत् करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही है। वह धर्मोपदेश परंपरा में विश्वास करते हैं और 21वीं सदी में सनातन परंपराओं के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।उनका मानना है कि लोगों के धार्मिक विश्वासों में कोई ठहराव नहीं होना चाहिए। उन्होंने 17 वर्ष की आयु में संन्यासी बनने का निर्णय किया, जिसके पश्चात् उन्होंने अपने पूज्य गुरु स्वामी श्री परमहंस गरुड्ध्वजाचार्य जी महाराज से वेद-शास्त्रों की शिक्षा और योग की कला में निपुणता प्राप्त की । सन् 1985 में स्वामीजी वर्षो के लंबे ध्यान और शिक्षा के बाद हिमालय लौट आए, फिर अपने गुरुदेव से मिलकर संन्यास ग्रहण किया। अयोध्या में भगवान् श्रीराम के जन्मस्थान पर भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण हेतु आहूत श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में उनकी सतत सक्रियता रही। उन्होंने स्थान-स्थान पर युवाओं को श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु सतत संघर्ष करने की प्रेरणा दी । माँ सीताजी और भगवान् श्रीराम के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा तथा उनके संदेशों को जन-जन तक पहुँचाने के उददेश्य और दृष्टिकोण से उन्होंने सन् 2020 में रामायण रिसर्च काउंसिल ' की स्थापना की और अपने प्रिय शिष्य श्री कुमार सुशांत को काउंसिल के कार्यों को आगे बढ़ाने का दायित्व दिया । शक्ति के अनन्य उपासक होने के नाते वह माँ सीताजी को साक्षात् भगवती महालक्ष्मी का अवतार मानते हैं, इसलिए उनका संकल्प है कि माँ सीताजी के प्राकट्य-क्षेत्र सीतामढ़ी में अयोध्याजी की तरह ही माँ सीताजी का भव्य मंदिर बने और संबंधित क्षेत्र को शक्ति-स्थल के रूप में विकसित किया जाए।